नहर



खेतों के आलिंगन

मेड़ों का चुम्बन,

ऊसर के लांक्षन 

सहती है नहर,

खेतों के बीच से 

बहती है नहर .. 

खेतों को देती है

अपना वो तन मन,

फसलों पर न्योछवार

करती है यौवन,

बंजर धारा को 

दे देती है जीवन,

क्यूँ एक अबला सी

रहती है नहर,

खेतों के बीच से 

बहती है नहर..

सूखे और बाढ़ का 

लेकर कलंक,

बहती चुपचाप वो

मधुर जलतरंग,

सरिता से पीड़ा

कहती है नहर,

खेतों के बीच से 

बहती है नहर..

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