सुबह-सुबह चिड़िया उठकर



सुबह-सुबह चिड़िया उठकर

जब मीठे गीत सुनाती है,

नन्हीं कोमल प्यारी कलियाँ

जब झुरमुट से मुस्कातीं हैं।

जब शीतल मंद बयार चले

एक खुशबू सी छा जाती है। 

थम जाए इस दिल कि धड़कन

और याद तुम्हारी आती है। 

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जब रंग बिरंगे फूल खिले

और हरियाली छा जाती है।

आम की डाली पर बैठी

जब कोयल कूक लगाती है।

मेंड़ों पर चलती मधुबाला

जब पायल को छनकती है।

थम जाए इस दिल कि धड़कन

और याद तुम्हारी आती है। 

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 जब ढलते सूरज की लाली

नील गगन में छाये

धानों की बाली मतवाली 

जब खेतों में लहराये।

सरसर बहती पुरवईया

जब गीत बसंती के गाती है,

थम जाए इस दिल कि धड़कन

और याद तुम्हारी आती है !


- कवि कुमार अशोक 


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