मैंने अक्सर देखा है



तकदीर
के रंगमंच पर
किसी की  प्रेरणा को
कहानी बनकर
पन्नों पर उतरते हुए ,
शब्दों कि तलाश में
हर मोंड से गुजरते हुए !
किसी के नसीब से
जिंदगी को करीब से
मैंने अक्सर देखा है ,
ये जाँचा है ये परखा है !
वक्त के साथ साथ
लोगों को बदलते हुए ,
विश्वास को टूट कर
आँखों से ढलते हुए !
जाने पहचाने चेहरों को
अनजान बनकर चलते हुए
मैंने अक्सर देखा है ,
ये जाँचा है ये परखा है !
आँखों को सपने बुनते हुए
रातों को खुले आसमान में
किस्मत के सितारे को ढूँढते हुए ,
चाँद कि दुधिया रोशनीं में
किसी के चेहरे को भाँपते हुए !
नयी सुबह के इंतज़ार में
किसी को सारी रात जागते हुए
मैंने अक्सर देखा है ,
ये जाँचा है ये परखा है !
आस्था के आँचल में
पत्थर कि पूजा करते हुए ,
मूक निर्जीव शिला समक्ष
हाँथ जोड़कर शीश धरते हुए !
अमीर-गरीब के फर्क को
दुःख को दर्द को
जाना है...
रोटी की कीमत,और
रिश्तों कि एहमियत को
पहचाना है...
हर मोड़ पर हमको रुलाते हुए
जिंदगी को हमसे रूठ कर जाते हुए
मैंने अक्सर देखा है ,
ये जाँचा है ये परखा है !

 - कवि कुमार अशोक
 

                                                                                                                       




   
    

                  


1 comment: