बचपन


याद आ रही है 
फिर वो कहानी,
मैं माटी का गुड्डा
तू परियों की रानी,
वो काली घटाएं 
वो मौसम तूफानी,
वो कागज़ की कश्ती
वो बारिश का पानी ..

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